Land Registry New Rules 2025: भारत सरकार ने भूमि पंजीकरण (Land Registration) को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए 2025 में नए नियम लागू किए हैं। इन नए प्रावधानों का उद्देश्य संपत्ति खरीद-बिक्री प्रक्रिया को अधिक सुगम बनाना और धोखाधड़ी को रोकना है। इस लेख में, हम दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भूमि पंजीकरण की प्रक्रियाओं और नए नियमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भूमि पंजीकरण क्यों है जरूरी?
भूमि पंजीकरण संपत्ति के स्वामित्व को कानूनी मान्यता देता है, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सकता है। सरकार ने अब इस प्रक्रिया को डिजिटल बनाने पर जोर दिया है, जिससे पारदर्शिता और सुगमता सुनिश्चित हो सके।
भूमि पंजीकरण के नए नियम 2025
- डिजिटल पंजीकरण: अब दस्तावेज़ों को ऑनलाइन जमा किया जा सकता है।
- आधार से लिंकिंग अनिवार्य: संपत्ति रिकॉर्ड को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।
- वीडियो वेरिफिकेशन: खरीददार और विक्रेता के बीच पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी।
- ऑनलाइन शुल्क भुगतान: अब नेट बैंकिंग और UPI के माध्यम से शुल्क जमा किया जा सकेगा।
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में नई व्यवस्था
स्टांप शुल्क:
- दिल्ली में पुरुषों के लिए 6% और महिलाओं के लिए 4% स्टांप शुल्क निर्धारित है।
- उत्तर प्रदेश में स्टांप शुल्क 7% तक हो सकता है।
बिहार और झारखंड में भूमि पंजीकरण
प्रमुख बदलाव:
- झारखंड में नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (NGDRS) लागू किया गया है।
- बिहार में महिलाओं को स्टांप शुल्क में विशेष छूट दी गई है।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में नई डिजिटल प्रक्रिया
नई सुविधाएँ:
- ओडिशा ने भूमि रिकॉर्ड्स को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया है।
- पश्चिम बंगाल में भुलेख पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिससे नागरिक अपनी संपत्तियों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
भूमि पंजीकरण प्रक्रिया के मुख्य चरण
- दस्तावेज़ तैयार करें: बिक्री विलेख (Sale Deed), गैर-भार प्रमाणपत्र (Non-Encumbrance Certificate) आदि।
- शुल्क का भुगतान करें: स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करें।
- आवेदन करें: सभी दस्तावेज़ों को ऑनलाइन अपलोड करें।
- बायोमेट्रिक सत्यापन: आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य।
- डिजिटल प्रमाणपत्र प्राप्त करें: पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
नए नियमों से होने वाले लाभ
- पारदर्शिता: वीडियो रिकॉर्डिंग और आधार लिंकिंग से फर्जीवाड़ा रोका जा सकेगा।
- समय की बचत: ऑनलाइन आवेदन से लंबी कतारों से बचा जा सकेगा।
- सरकारी राजस्व में वृद्धि: डिजिटल भुगतान से सरकार को अधिक पारदर्शी कर संग्रहण मिलेगा।
आवश्यक दस्तावेज़
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- बिक्री विलेख (Sale Deed)
- गैर-भार प्रमाणपत्र (Non-Encumbrance Certificate)
- राजस्व रिकॉर्ड्स
- नगर पालिका कर रसीदें (Municipal Tax Receipts)
निष्कर्ष
सरकार द्वारा किए गए ये बदलाव भूमि पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और सरल बना रहे हैं। डिजिटल माध्यमों के उपयोग से संपत्ति लेन-देन पारदर्शी हो रहा है और नागरिकों को अधिक सुविधाएं मिल रही हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य न केवल धोखाधड़ी को रोकना है बल्कि सरकारी राजस्व को भी बढ़ाना है।